Wednesday, October 8, 2008

प्रेरणात्मक सूक्तियां--2

ज़िंदगी एक साईकिल चलाने की तरह है आप तब तक नही गिरते जब तक आप उसे चलाना बंद नही करते...

स्कूल और ज़िंदगी में क्या अंतर है?
स्कूल में पहले पाठ पढ़ाया जाता है और फिर टेस्ट लिया जाता है जबकि ज़िंदगी में पहले सेस्ट लेती है और फिर पाठ पढ़ती है...

नामुमकिन काम करना भी एक तरह का मज़ा है..

आप वो हैं जो आप समझते है की आप हैं..

ज़िंदगी में सबसे बड़ा ख़तरा यह है की ख़तरा न लेना...

Sunday, October 5, 2008

प्रेरणात्मक सूक्तियां--1


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी


आप किसी भी उम्र में जवान हैं अगर आप कल की योजनायें बना रहे हैं...

अगर आप किसी चीज़ की कल्पना कर सकते तो आप वह कर भी सकते हैं...

बीते हुए पर पछताना व आने वाले का डर आत्मा के दो दुश्मन हैं..

जो कहता है कि यह किया नही जा सकता उसे किसी करने वाले को रोकना नही चाहिए...

हार या जीत तब तक मायने नही रखती जब तक हम हारते नही..

प्रेरणात्मक सूक्तियां

ज्ञान से ज़्यादा कल्पना ज़रूरी है..

सरहदें सिर्फ़ उन आत्माऔ में होती है जो कल्पना नहीं करती..

एक बीज के अंदर की चीज़ों को देखना ही दृष्टि है...

अगर आप अमीर महसूस करना चाहतें हैं वह हर चीज़ गिनिए जो आपके पास है व जो पैसों से नही खरीदी जा सकती...

अगर आप ज़िंदगी के साथ सुरक्षित खेलते हैं तो इसका मतलब है की आप आगे नही बढ़ना चाहते..